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आग की कोख से जन्मी : द्रौपदी

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द्रौपदी : पांचाली के महाराज द्रुपद की पुत्री, पांच पांडवो की अकेली रानी ,कृष्ण की प्रिय सखा , आग से जन्मी: द्रौपदी। द्रौपदी, जिसकी सुंदरता और महानता के किस्से किसने नहीं सुने?  जिसने अपने शत्रुऔ को राख में बदल दिया।  द्रौपदी का जन्‍म होते ही  आकाशवाणी हुई कि यह कन्या कुरू वंश के पतन का कारण बनेगी। महाभारत में द्रौपदी को बेहद खूबसूरत बताया गया है।  उनकी आंखें फूलों की पंखुडियों की भांति थी, वह काफी कुशाग्र और कला में दक्ष थी। उनके देह से नीले कमल की खुशबु आती थी। महाराज द्रुपद की पुत्री होने के कारण उनका नाम  राजकुमारी द्रौपदी रखा गया। प्रुशत की पोती होने से  उन्हें परसती कहा जाता था। सांवला रंग और लंबे केश होने और श्री कृष्ण की प्रिय सखा होने के करण उन्हें कृष्णा नाम भी दिया  गया। उनका और श्री कृष्ण का संबध कुछ अनोखा ही था । द्रौपदी भगवान कृष्‍ण को ही अपना सच्‍चा सखा, साथी और भ्राता मानती थीं। एक वही थे जो संकट के वक्‍त में द्रौपदी के साथ खड़े थे।। महाराज द्रुपद ने उनके विवाह के लिए  स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें कई राज्यो के राजकुमारो ने हिस्सा लिया।द्रौपदी की सुंदरता के कर

Motivation.

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मेरा परिचय मायने नहीं रखता पर आज जो आपसे अपना अनुभव साझा करने जा रही हूं वो शायद आपके जीवन की राह को बदल दे । तो..मै यू ही अपने घर मै टहल रही थी आखिर लॉकडाउन का समय है करे भी क्या.. तो मै देखती हूं कि एक छोटी सी चिड़िया मेरे पंखे के ऊपर दरी सहमी सी बैठी थी.. ऐसा प्रतीत हो था मानो अपनी मां से बिछड़ , रास्ता भटक गई हो। वो धीरे धीरे  उडने की कोशिश करती हुई , एक पंखे से दूसरे पंखे , दूसरे पंखे से मेज उड़ रही थी। और कई बार ऐसा ही कर रही थी..ऐसा लग रहा था कि कैसे भी करके उसे अपनी मां के पर जाकर उसकी गोद में छिप जाना हो।। पर जिंदगी की लड़ाई से मां तो क्या भगवान भी स्वयम् नहीं बचा पाए। थकी हारी हुई , डरी सहमी सी और भूक प्यास से व्याकुल वो बस एक राह की तलाश मै पर शायद उसकी मां ने भी उसे हार मानना नहीं सिखाया था। चोट धक्के खाने के बाद भी उसने अपनी तलाश जारी रखी। काफी समय तक ऐसे ही भटकती रही, कुछ समय बाद बाहर का दरवाजा तो नहीं पर एक खिड़की जरूर मिल गई । जब उसने बाहर देखो तो मानो उसे जिंदगी मिल गई हो। हमारा जीवन भी इसी प्रकार कमरे में बंद एक परिंदे के समान है जो जानता ही नहीं आसमान कित